बुलडोजर एक्शन: अनजाने में सिलक्यारा सुरंग के ‘हीरो’ का घर कर दिया ध्वस्त! सच पता चलते ही DDA ने उठाया यह कदम

नई दिल्ली: दिल्ली के खजूरी खास गांव में अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत डीडीए ने जिन-जिन अवैध घरों पर बुलडोजर चलाया, उसमें से एक घर उस शख्स का भी था, जिसने उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग हादसे में 41 मजदूरों की जान बचाने में मदद की थी. सिलक्यारा सुरंग में 41 मजदूरों की जान बचाने में मदद करने वाले रैट माइनर वकील हसन के घर बुलडोजर एक्शन पर को लेकर एक नई जानकारी सामने आई है. बताया गया कि डीडीए को यह जानकारी नहीं थी कि जिन-जिन लोगों के घर जमींदोज किए गए, उनमें रैट माइनर वकील हसन का भी घर था. खजूरी खास गांव में बुलडोजर एक्शन पर डीडीए ने बयान जारी किया है और कहा है कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी.

डीडीए के अधिकारियों को नहीं थी जानकारी
रैट माइनर वकील हसन के घर के बुलडोजर एक्शन पर डीडीए ने कहा कि उसके अधिकारियों को नहीं पता था कि रैट माइनर वकील हसन ने सिल्क्यारा टनल में मजदूरों को बचाया था. ये बात जानकारी में आने के बाद डीडीए ने उनके लिए वैकल्पिक शेल्टर की व्यवस्था करने के लिए कहा था, जिसे लेने से रैट माइनर वकील हसन ने इनकार कर दिया. डीडीए ने कहा कि अतिक्रमण विरोधी अभियान उस जमीन पर चलाया गया जो ‘योजनाबद्ध विकास भूमि’ का हिस्सा थी. अपनी जमीन से अतिक्रमण हटाना डीडीए की निरंतर और नियमित गतिविधि रही है. बयान के मुताबिक, 2016 में दिल्ली विकास प्राधिकरण ने एक विध्वंस अभियान शुरू करते हुए खजूरी खास गांव में खसरा नंबर 247/1 मिन से अपने 3 भूमि पार्सल को अतिक्रमण से मुक्त कराया. 2017 में निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि वकील हसन और गोयल नाम के व्यक्ति फिर से इन 3 भूमि पार्सल में से 2 पर अतिक्रमण कर रहे थे. इस गंभीर उल्लंघन की तुरंत पुलिस को सूचना दी गई, जिससे जून 2018 के लिए निर्धारित विध्वंस कार्यक्रम शुरू हो गया.

पहले भी हो चुका है एक्शन
बयान के अनुसार, हालांकि, विध्वंस कार्यक्रम के निष्पादन को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि अतिक्रमणकारियों के रूप में पहचाने जाने वाले परिवार ने एक्शन का विरोध किया. ऐसे में फिर से अतिक्रमण की अनुमति देने के लिए दोषी अधिकारियों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया था. सितंबर 2022 और दिसंबर 2022 में फिर से विध्वंस की योजना बनाई गई. विध्वंस के इन प्रयासों को एक बार फिर परिवार की महिलाओं ने विफल कर दिया, जिन्होंने खुद को शारीरिक नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया और परिसर के भीतर खुद को रोककर आत्मदाह की धमकी दी. डीडीए द्वारा संबंधित संपत्ति को ध्वस्त करने के ये सभी प्रयास वकील और उनके परिवार की जानकारी में थे और इस प्रकार वे एक अतिक्रमणकर्ता के रूप में अपनी स्थिति के बारे में अच्छी तरह से जानते थे.

28 फरवरी को चला बुलडोजर
डीडीए ने कहा, 2022 में विध्वंस के प्रयास के समय यह भी पता चला कि दो अतिक्रमणकारियों में से एक यानी गोयल ने अतिक्रमण के अपने हिस्से के लिए अदालत से विध्वंस के खिलाफ कानूनी रोक प्राप्त कर ली थी. जिस स्थल पर विध्वंस किया गया है, उसके आसपास की संरचनाएं श्री राम कॉलोनी, राजीव नगर, दिल्ली 94 की सीमा के भीतर आती हैं, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अनधिकृत कॉलोनियों में निवासियों के संपत्ति अधिकारों की मान्यता) विनियम, 2019 के तहत अधिसूचित हैं. उक्त अतिक्रमण को हटाने के लिए 28 फरवरी 2024 को एक विध्वंस कार्यक्रम निर्धारित किया गया था, जिसके लिए डीडीए द्वारा पुलिस सहायता भी मांगी गई थी.

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डीडीएन ने मदद की पेशकश की
इसके बाद 28 फरवरी 2024 को डीडीए की विध्वंस टीम स्थानीय पुलिस के साथ स्थान पर पहुंची और वकील के परिवार को सूचित किया और उनसे अतिक्रमित क्षेत्र को खाली करने का अनुरोध किया. वकील हसन को अतिक्रमित संरचना से अपना सामान हटाने के लिए पर्याप्त समय देने के बाद अतिक्रमित क्षेत्र को डीडीए द्वारा साफ कर दिया गया. विध्वंस अभ्यास से पहले या उसके दौरान किसी भी समय डीडीए अधिकारियों को उत्तराखंड में सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग में फंसे श्रमिकों के बचाव अभियान में वकील के हालिया योगदान के बारे में जानकारी नहीं थी. देर शाम जब यह तथ्य सामने आया तो डीडीए के अधिकारियों ने वकील और उनके परिवार के लिए आश्रय की वैकल्पिक व्यवस्था करने के बाद मौके पर जाकर उनसे संपर्क किया. मगर वकील ने प्रस्तावित किसी भी राहत उपाय का लाभ उठाने से इनकार कर दिया और उसी स्थान पर या उसी आसपास किसी भी स्थान पर एक स्थायी घर की मांग की. गतिरोध को तोड़ने के लिए डीडीए के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हस्तक्षेप किया और देर रात साइट पर गए, जिसका कोई फायदा नहीं हुआ.

रैट माइनर को पता था सबकुछ
डीडीए के मुताबिक, परिवार को अतिक्रमण की स्थिति के बारे में पता था. रैट माइनर वकील को यह भी पता था कि उनका अतिक्रमण पहले 2016 में हटा दिया गया था और उन्होंने 2017 में जमीन पर फिर से अतिक्रमण कर लिया. डीडीए ने कहा कि यह एक नियमित अतिक्रमण हटाने का अभियान था और डीडीए ने किसी विशेष व्यक्ति को लक्षित नहीं किया है. सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग में फंसे श्रमिकों के बचाव अभियान में वकील के योगदान के बारे में जानने के बाद डीडीए ने परिवार की मदद के लिए हाथ बढ़ाया, जिसका लाभ नहीं उठाया गया. एक प्राधिकरण के रूप में डीडीए अपनी भूमि पर अतिक्रमण या अपने विकास क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण की अनुमति नहीं दे सकता है.

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हसन ने क्या आरोप लगाया
वहीं, रैट माइनर हसन के परिवार ने आरोप लगाया कि बुलडोजर एक्शन को लेकर उन्हें कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई. हसन ने आरोप लगाया, ‘हमने एक बार भी यह सोचे बिना कि हमारा कर्तव्य क्या था, लोगों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी. इस तरह अधिकारी मेरे बच्चों को बेघर करके मुझसे बदला दे रहे हैं.’ विध्वंस के दौरान मेरी 15 वर्षीय बेटी भी घायल हो गई. मैंने डीडीए टीम से तोड़फोड़ की कार्रवाई रोकने की मिन्नत की, लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी. उन्होंने अभियान के दौरान केवल मेरा घर हटाया.’

Tags: DDA, Delhi news, Demolition

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